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भ्रूण हत्या से भी बड़ी एक हत्या

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कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू पढ़ रही थी किसी आईपीएस/आईएएस का- उस इंटरव्यू में साफ़ शब्दों में, बड़े गर्व के साथ बताया गया था- इस सफलता का श्रेय मैं मेरे पापा को देती हूँ, उन्होंने मुझे कभी लड़की की तरह नहीं पाला, हमेशा लड़के की तरह रखा और पढाया| यक़ीनन गर्व की बात थी, इतनी बड़ी पोस्ट जो मिली थी वो भी मेहनत और घरवालों के सपोर्ट से, परन्तु एक सवाल यहाँ आकर खड़ा हो जाता है ? ये मेरी तीसरे नंबर की बेटी है, है तो ये मेरी बेटी बट इसने मेरा नाम बेटे की तरह रौशन किया है | जब ये पैदा हुई थी तो घर में मातम छा गया था, परन्तु जिस तरह इसने परिवार के नाम को एक बेटे की तरह ऊचा किया है अब मुझे इस पर नाज़ होता है| अजी  बेटी नहीं बेटा है, हीरा है, सबसे ज्यादा इस बेटे ने मुझे आत्म संतुष्टि दी है सबसे जिम्मेदार और समझदार|  बात सिर्फ यहाँ ही ख़तम नहीं हो जाती आप देखिये किसी भी रियलिटी शो ( कही भी) में जब बेटियां कुछ कर दिखाती है तो अक्सर माँ- बाप से सुंनने को मिलता है कि इसने मेरा इतना नाम रौशन किया है ये "मेरी बेटी नहीं ये मेरा बेटा है"| जब उम्मीदें  बहुत आगे होती हैं तो लोगों को और  भी यही चिल्लाते स