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बन्धनों को खोलता प्रेम

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प्रेम की मिसाल आज से नहीं युगों-युगों से चली आ रही है | कृष्ण ने राधा , राम ने सीता , हीर ने राँझा , रोमियो ने जूलिएट , और न जाने कितने जिन्होंने प्रेम को परिभषित किया | जब भी इनकी कहानियों को हम सुनते हैं तो भाव-विभोर हो जाते हैं और   प्रेम की दाद देना शुरू करते हैं |  हर ग्रन्थ , किताब या कहूँ व्यक्ति ने प्रेम को अलग-अलग तरीके से महसूस किया और इसे दुनिया की सबसे खुबसूरत भावना के रूप में बताया | कहते हैं सबरी ने राम को अपने झूठे फ़ल खिला दिए थे , और तो और मीरा ने कृष्णा के प्रेम में पड़ कर विष के प्याले को अमृत समझकर पी लिया था | ऐसे न जाने कितने उदाहरण है जिन्हें सिर्फ उन व्यक्ति विशेष ने जिया है औए अंत में जान देकर प्रेम को अमर किया है | अंत में त्याग ही हमेशा विजयी रहा है उसका कारण शायद यही है कि न तो आज और न ही युगों पहले लोगों ने इस खुबसूरत एहसास को स्वीकारा |  रूमी ने प्रेम को जिस तरह परिभाषित किया , वह इंसान मात्र की कल्पना से परे रहा है | वस्तु से , मित्र से , कलम   से , लिखने से , प्रेमिका से , आदि | अरे! ये कैसा प्रेम है जिसमे कोई शर्त नहीं , सिर्फ लगन ही लगन और व